2020/07/30 at 4:40 AM, 1292 Views
“एजुकेशन जीवन की तैयारी नहीं, ये अपने आप में ही एक जीवन हैl”
JohnDewey
शिक्षा-शिक्षक तथा शिक्षण प्रणाली प्रत्येक देश, उसकी संस्कृति, सुरक्षा तथा प्रगति का महत्त्वपूर्ण अंग मानी जाती है l लेखक ने बड़ी खूबसूरती से शिक्षा और जीवन के सम्बन्ध का बखान किया हैl
कोरोना जैसी भयंकर बीमारी ने देखते ही देखते पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लियाl स्कूल-कॉलेज, दफ़्तर, बाज़ार, दुकानें, संस्थाएँ, मंदिर-मस्जिद-गिरिजाघर-गुरुद्वारे, कारखाने आदि सभी धीरे-धीरे बंद होने लगे और देश में lockdown की घोषणा कर दी गई l भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रत्येक नागरिक से अपने घर के अंदर रहने का निवेदन किया तथा ज़रूरत की हर वस्तु शहरों, गाँवों, कस्बों, जिलों आदि में समय पर उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया l उसके बावजूद lockdown से होने वाला असर प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खलबली मचा गया l
“जीवन में कठिनाइयाँ हमें बर्बाद करने नहीं आती हैं, बल्कि यह हमारे छुपे हुएसामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं, कठिनाइयों को ये जान लेने दो कि आप उससे भी ज़्यादा कठिन हो”
पूर्व राष्ट्रपति, डॉक्टर अब्दुल कलाम जी के इन शब्दों ने Pandemic व lockdown का रूप ही बदल दिया l ये शब्द दिन-रात मेरे कानों में गूँजने लगे और इस गूँज ने जीवन को एक नई दिशा की तरफ़ मोड़ दिया lकई किताबें पढ़ीं, फ़िल्में देखीं, साफ़-सफ़ाई की, नित नए पकवान बनाए लेकिन इन सबसे मानस-पटल में चैन की अनुभूति की संभावना भी कोसों दूर थी । तभी विचार कौंधा कि महामारी के इस समय को व्यक्तिगत, सगंठनात्मक सुधार एवं व्यावसायिक विकास के लिए क्यों न उपयोग में लाया जाए ? इस निर्णय के दृढ़ निश्चयी होते ही कई प्रश्न प्रत्यक्ष रूप से मेरे समक्ष उत्पन्न हो गएl
जैसे:
“जो अपने कदमों की काबिलियत पर विश्वास रखते हैं वो ही अक्सर मंजिल पर पहुँचते हैंl”
फिर क्या था घर से ही Microsoft TEAMS, Google class rooms, Zoom, YouTube.com आदि की मदद से ऑनलाइन मीटिंग्स, workshops, कवि सम्मेलन, आदि का आयोजन करना सीख लिया l Virtual, Flipped classes आरम्भ कर दिए lKahoot, Padlet, Googleforms, videosआदिबनाने सीख लिए l छात्रों के लिए तरह-तरह की मज़ेदार गतिविधियाँ जैसे वाद-विवाद, भाषण, नाटक, कविताएँ आदि करवाने आरम्भ कर दिए l इसी प्रकार कई webinar, sessions, training में भाग लिया और श्री शिक्षकों के लिए इनकाआयोजन किया l ऑनलाइन कोर्स किए तथा अपनी क्षमताओं का निरंतर विकास करते हुए आगे बढ़ती गई l
एक तरफ़ ये महामारी अपने साथ कई मुसीबतें लाई तो दूसरी तरफ़ नई-नई संभावनाओं के द्वार भी खोलदिएl आज पूरे हिन्दुस्तान का हर शिक्षक अपनी-अपनी क्षमताओं, संसाधनों के अनुसार अपने छात्रों के घर तक पहुँच कर उनकी पढ़ाई पूरी करवाने में यथासंभव सहायताकर रहा हैl
जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है,
मानलो तो हार, ठान लो तो जीत l
मुझे विश्वासहै कि मेरी तरह हर व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में बहुत सी नई-नई चीजें सीख, सिखा तथा कर रहा होगा l तो देर किस बात की है दोस्तों, कलम उठाइए और लिख डालिए ‘महामारी के दौरान अर्जित किए गए अनुभव तथा विकसित हुए कौशलों की गाथा l’
कभी भी जीवन में इस प्रकार की कोई स्थिति आ जाए तो घबराना नहीं, केवल एक बात याद रखना कि सकारात्मक सोच के चलते बड़ी से बड़ी मुसीबत पर विजय प्राप्त की जा सकती है l
“कौन है जिसमें कमी नहीं, आसमां के पास भी तो ज़मी नहीं l”
अंकित जैन जी के इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूँ और आशा करती हूँ कि आप भी अपने अनुभव जल्द से जल्द लिखकर सभी के साथ साझा करेंगेl
कोमल दुआ
Chief Manager – Education & Training SEL
नमस्ते महोदया आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं।
इस लॉकडाउन में ऐसी बहुत सारी चीजें सीखी है टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना सीखा है।जो अब शायद हमेशा हमारे साथ रहेंगे। आपके सानिध्य में भी बहुत कुछ सीखा है जिसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद तथा आभार।
nice!
अति उत्तम विचार व्यक्त किये हैं सही है जहा चाह वहाँ राह
We started this journey together as a team and enjoyed each and every step.
Aksharsha sahi !!!!
नमस्ते !
महोदया मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं।
इस लॉकडाउन में ऐसी बहुत सारी चीजें सीखी है टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना सीखा है। अब यह ज्ञान हमेशा हमारे साथ रहेगा और पूरी दुनिया से जोड़ देगा । आपके सानिध्य में भी बहुत कुछ सीखा है जिसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद तथा आभार।इसी तरह हाथ थाम कर हमारा ज्ञान बढाते रहना।
बहुत ही बहुत ही सही लिखा है आपने हमने काफी कुछ सीखा है इस दरमियान मुझे याद आ रही है हरिवंश राय बच्चन जी की कविता की पंक्तियां कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और सच ही तो है अवसर हमें सीखने का मौका देते हैं l इस आकस्मिक आपदा से हम सब मिलकर लड़े और इसमें भी हमने कुछ ना कुछ सकारात्मक निकाल लिया वर्चुअल हुई जिंदगी को हमने पूरी शिद्दत से जिया और काफी कुछ सीखा आपका बहुत-बहुत आभार इस यात्रा में आपका सहयोग हमारे शिक्षण मैं बहुत निखार लाया सच कहूं तो मुझे ऑनलाइन क्लास से भी प्यार हो गया है मगर फिर भी ईश्वर से प्रार्थना है कि हमें जल्दी ही इस वर्चुअल जिंदगी से छुटकारा मिले और बच्चों की किलकारी से हमारा विद्यालय का प्रांगण गूंजे l
प्रिय कोमल जी,
आपने बहुत सुंदर लिखा है । जब में आपके लेख को पढ़ रही थी
तब ऐसा लग रहा था मानो,”किसी ने मेरे मन की बात कह दी हो। आपका हरेक शब्द दिल को छू गया।
नमस्ते महोदया जी,
आपके मार्गदर्शन से हम नित नए कार्य क्षेत्र की ओर अग्रसर है।आपका सहयोग हमारी प्रेरणा है।
सधन्यवाद
बबिता वर्मा
Very well written blog with such encouraging quotes. You are an inspiration .
नमस्ते महोदया जी
आपकी बात का पूरी तरह से समर्थन करती हूं। मैं भी अपने अनुभव आप सबके सामने साझा करना चाहती हूं जो कि मैंने लॉकडाउन के समय अनुभव किए हैं। लॉकडाउन से पहले ऑनलाइन काम करना मेरे लिए सबसे बड़ी मुश्किल भरा था जब यह पता लगा कि कक्षाएं ऑनलाइन ली जाएंगी तो मैं सोचने लगी कि यह सब कैसे संभव होगा। परंतु धीरे-धीरे जब कक्षाएं लेने लगी, कार्यशाला आरंभ हुई, कवि सम्मेलन हुए तब मेरे मन में विचार आया कि किसी ने सही ही कहा है:
कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।
हम सब वह करने लगे जो कभी हमने सपने में भी नहीं सोचा था। यह महामारी तथा कठिन समय हम सबको बहुत कुछ नया सीखा रहा है । यह सारे अनुभव अब हमेशा हमारे साथ रहेंगे और टेक्नोलॉजी की दुनिया में हम भी पीछे नहीं हैं यह सोच हमारे अंदर एक नया विश्वास जगाते रहेंगे।
धन्यवाद
नमस्कार महोदया जी
मैं आपकी बात का पूरी तरह से समर्थन करती हूं और मैं भी अपने कुछ विचार यहां आप सबके सामने साझा करना चाहती हूं मैं बताना चाहती हूं लॉकडाउन से पहले ऑनलाइन काम करना मेरे लिए सबसे बड़ी समस्या थी क्योंकि मैं ऑनलाइन काम करने में अपने आप को असमर्थ महसूस करती थी परंतु लोक डाउन के दौरान जब ऑनलाइन कक्षाएं आरंभ हुई, वर्कशॉप हुई ,कविता सम्मेलन हुए तो धीरे-धीरे यह सब करते करते अब बहुत कुछ सीख गए हैं और भी बहुत कुछ सीखने की इच्छा जगने लगी है ।तो मैं यहां यह कहना चाहूंगी कि हर समस्या हमें लड़ने में सक्षम बनाती है ।लोक डाउन शुरू हुआ तब लगता था यह सब कुछ कैसे संभव होगा लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ आसान होने लगा इसलिए सही कहा गया है कि
कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता
कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो